बाल अधिकारों पर वर्कशाॅप

बाल अधिकारों पर वर्कशॉप, जनहित फाउंडेशन व मेरठ चाइल्ड लाइन की निदेशिका अनीता राणा ने बाल अधिकारों पर वर्कशॉप का आयोजन किया। उन्होंने इस पर मीडिया की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। गत तीन वर्षो में चाइल्डलाइन द्वारा बच्चो के पास आने वाले केस के बारे में बताया जिसमें 118 बच्चो को परिजनों से मिलवाया गया, 194 बच्चो को बाल श्रम से मुक्त कराया, यौन शोषण के 36 केस में मदद की गई, भीख मांगने वाले 74 बच्चो को मुक्त कराया, 79 केस में बाल विवाह रूकवाया, घरेलु हिंसा के 171 केस दर्ज हुए, शारीरिक शोषण के 59 केस आए, मानसिक शोषण के 87 केस, कॉरपोरल पनिशमेंट के 24 एवं करोना काल में 2317 बच्चो को राशन दिया गया।  कई तरह के केस भी दर्ज हुए जिसमें सिटी चाइल्ड लाइन में 2771 ओर रेलवे चाइल्ड लाइन में 1324 बच्चो को मदद दी गई। अनीता राणा ने बताया कि कैसे मीडिया भी चाइल्डलाइन के बारे में अधिक जागरूकता फैलाने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है ताकि आपातकालीन हेल्पलाइन 1098 को शहर में व्यापक रूप से पहुंचाया जा सके। चाइल्ड लाइन खोए और पाए, बाल श्रम, शारीरिक और भावनात्मक शोषण, बाल विवाह, घरेलू हिंसा, शिक्षा, बहाली, यौन शोषण सहित विभिन्न श्रेणियों के मामलों पर कार्य करता है। इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि COVID के दौरान, साइबर अपराध, यौन शोषण और घरेलू हिंसा के मामलों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई और मेरठ चाइल्डलाइन द्वारा उनमे हस्तक्षेप किया गया और उन्हें हल भी किया गया। गुरमुख सिंह, प्रभारी- यूनिसेफ, मेरठ डिवीजन ने मीडिया सहयोगियों से वार्ता के दौरान बताया किया तरह पॉक्सो के आने वाले केस के बारे में पता चलने पर मीडिया 1098 पर सूचना दे कर अपनी अहम भूमिका अदा कर सकता है कि गुमशुदा बालको को माता पिता से मिलवाने में भी मीडिया का रोल बहुत महत्वपूर्ण है। वरिष्ट समाज सेवी  विपुल सिंघल  को चाइल्ड लाइन की इस मुहिम में साथ जुड़ने के लिए उनकी इस पहल का समर्थन करने के लिए उनको प्रतीक चिन्ह और बाल मित्र बना कर सम्मानित किया गया । सभी मीडिया बंधुओ को चाइल्ड लाइन ने बाल मित्र बना कर सम्मानित किया। इसमें  अजय कुमार, चाइल्ड लाइन ऑफिसर मनमोहन सिंह, इमरान, शिल्पी और रेविका का विशेष सहयोग रहा।

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