चीन का लोकतंत्र महज़ के दिखावा? कम्युनिस्ट तानाशाही से जूझ रहा चीन अब बीते रविवार से लोकतंत्र का दिखावा कर रहा है। यह एक ऐसे तरह का दिखावा है जिसमें चीन बताता है कि हम भी एक लोकतंत्र है कई प्रतिनिधि आकार हमारी सरकार चुनते हैं और यही कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की प्रणाली है। इस चुनाव प्रणाली को कांग्रेस कहते हैं जो 5 साल में एक बार होती है और यह पिछले 100 वर्षों में चीन की 20वीं कांग्रेस है। यह सोच कर बड़ा आश्चर्य होता है कि एक पार्टी की बैठक इतनी महत्वपूर्ण क्यों है, जिसका कारण है को यह पार्टी चीन में सरकार चलाती है। वैसे जानकारी के लिए आपको बता दें कि दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी हमारे देश की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) है जिसके वर्तमान में अभी 18 करोड़ सदस्य है दूसरे स्थान पर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी आती है जिसके 9 करोड़ सदस्य है। चीन की यह पार्टी 70 साल से चीन में शासन चला रही है और कोई भी विपक्ष नहीं है। अन्य लोकतांत्रिक देशों की अगर बात करें तो वहां की लोकप्रिय पार्टियां आपको शासन चलाती हुई दिखेंगी। चीन आबादी के अनुसार पहला और अर्थव्यवस्था के अनुसार दूसरा सबसे बड़ा देश है। चीन की आने वाले समय की वैश्विक नीतियां इस बैठक के दौरान तय होती है। इस बैठक में चीन के हर कोने से 2,296 प्रतिनिधि हिस्सा लेते हैं, इनकी औसत उम्र 52 वर्ष की होती है, 33.6 प्रतिशत उद्योग क्षेत्र से , 11.5% जातीय अल्पसंख्यक समूह से और महिलाओं की संख्या पिछले साल के मुकाबले 24 से बढ़कर 27 प्रतिशत बैठक में हो चुकी है। यह संख्याबल भी पार्टी निर्धारित करती है कि कितने प्रतिशत लोगों को शामिल होना है, यह बात एक वर्ष पहले ही बता दी जाती है। प्रतिनिधियों का चुनाव तो कागज़ी होता है लेकिन उसमें भी पार्टी की तानाशाही दिखाई देती है इसमें सारे प्रतिनिधि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के होते है। आम जनता के बजाय पार्टी की कार्यकारिणी ही इनको वोट डालती है। भारी संख्या में लोग वहां इकठ्ठे होते है लेकिन इनके पास कोई भी शक्ति नहीं है वे सिर्फ केंद्रीय कमेटी को चुनते हैं और कमेटी को पहले से ही सब पता होता है। 5 साल में आयोजित इस कांग्रेस में पार्टी केंद्रीय समिति का चुनाव करती है। पार्टी केंद्रीय समिति तब 25 सदस्यीय पोलित ब्यूरो का चयन करती है।पोलित ब्यूरो सर्वोच्च निकाय, पोलित ब्यूरो स्थायी समिति की नियुक्ति करता है । पार्टी के जनरल और राष्ट्रपति शी जिनपिंग सहित वर्तमान में 7 सदस्य हैं । शी जिनपिंग पहले से ही सर्वोपरि नेता, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के ब्यूरो अध्यक्ष, वे केंद्रीय सैन्य आयोग विश्व स्तर पर चीन का प्रतिनिधत्व करते हैं। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख, चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग के अध्यक्ष वह देश के सशस्त्र बलों की कमान संभालते हैं। राष्ट्रीय कांग्रेस में पार्टी के चार्टर में संशोधन किया जाएगा,जो शी जिनपिंग के नेतृत्व की फिर से पुष्टि करने की उम्मीद है। शी जिनपिंग की तीसरे कार्यकाल के लिए फिर से चुने जाने की उम्मीद है। अध्यक्ष माओत्से तुंग के बाद वह तीन बार चुने जाने वाले पहले राष्ट्रपति होंगे। उनको प्रतिनिधियों द्वारा “नए युग के लिए चीनी विशेषताओं के साथ समाजवाद” के मार्गदर्शन में चुना गया था। बीते दशकों में चीन की अर्थव्यवस्था में हाल ही में तेजी आई है। लेकिन अब चीन गंभीर आर्थिक व्यवधान का सामना कर रहा है। कोविड ,लॉकडाउन, बढ़ती कीमतें और सेना प्रमुख संपत्ति संकट उसे परेशान कर रही है। यूक्रेन में युद्ध से उत्पन्न वैश्विक मंदी की बढ़ती आशंकाओं ने भी चीन को नुकसान पहुंचाया है। शी जिनपिंग के नेतृत्व में आर्थिक विकास पिछले राष्ट्रपति जियांग की तुलना में कम हुआ है और हाल ही में उनके और उनकी सरकार के खिलाफ जनविरोध शुरू हो चुका है।
चीन का लोकतंत्र महज़ के दिखावा?
