एक्सप्रेस वे पर 155 नहीं अब 85, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर केबल कटने से यात्रियों की जेब से कम दूरी के बाद भी 155 रुपये कट रहे थे। तीन दिन बीत जाने के बाद भी इसे दुरुस्त नहीं किया जा सका है। इस आधुनिक तकनीक से उपजी समस्या का खामियाजा यात्री भुगत रहे हैं। बहरहाल, एनएचएआइ ने यात्रियों का दर्द कम करने के लिए यह निर्णय लिया है कि जब तक केबल ठीक नहीं हो जाता है तब तक दिल्ली से मेरठ तक 85 रुपये टोल लिया जाएगा। फिलहाल सर्वर लिंक को डूंडाहेड़ा से जोड़ दिया गया है। पांच दिन पहले से डूंडाहेड़ा व इंदिरापुरम से प्रवेश करने वाले वाहनों से 155 रुपये टोल कट रहा था। तीन दिन पहले इसकी जांच हुई तब पता चला कि इंदिरापुरम के पास आप्टिकल फाइबर केबल कट गया है। उसके बाद से इसे दुरुस्त करने की कोशिश चल रही है, लेकिन सफलता न मिलने से टोल 85 रुपये लेने का निर्णय किया गया। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के परियोजना निदेशक अरविंद कुमार का कहना है कि केबल के दुरस्त होने तक एक तरफ का टोल 85 रुपये लिया जाएगा। यदि ज्यादा टोल कट जाता है तब भी उसे वापस कर दिया जाएगा। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर आटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर (एएनपीआर) के आधार पर फास्टैग से टोल लेने की प्रक्रिया चालू है। इसे देश का पहला ऐसा एक्सप्रेस-वे बताया जा रहा था जहां कर्मचारियों की आवश्यकता नाममात्र रहनी थी। टोल लेने की प्रक्रिया आटोमेटिक होनी थी, जिससे बिना रुके वाहन तेजी से दौड़ते रहें। मगर शुभारंभ के साथ ही यह व्यवस्था पटरी से उतरी हुई है। जिस आटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर को वाहन का नंबर पढ़कर पूरा विवरण बूथ में बैठे कर्मचारी के कंप्यूटर पर भेजना था, वह ऐसा नहीं कर पा रहा है। एएनपीआर का सिस्टम काशी टोल प्लाजा पर हैंग चल रहा है। यहां जब वाहन बूम बैरियर गिराकर रोके जाते हैं और फास्टैग स्कैन किया जाता है, तब उसी समय एक कर्मचारी वाहन का नंबर पढ़ता है और बूथ में बैठे कर्मचारी को बताता है। तब बूथ के कर्मचारी उस नंबर को कंप्यूटर में दर्ज करते हैं। एनएचएआइ के अधिकारी कहते हैं कि जल्द ही व्यवस्था दुरुस्त हो जाएगी।
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