घाटी में पंड़ित परिवारों को हाथ नहीं लगा सकता कोई, कश्मीर घाटी में आज भी आठ सौ पंड़ित जिन्हें कश्मीरी पंड़ित कहा जाता है उनके परिवार रह रहे हैं, उन्हें कोई हाथ भी नहीं लगा सकता। कश्मीरी पंड़ितों के बगैर घाटी अधूरी है। प्रत्येक कश्मीरी मुसलमान चाहता है कि कश्मीरी पंड़ित वापस लौटें, घाटी उनका इंतजार कर रही है। कश्मीर फाइल जैसी फिल्में केवल देश में आग लगाने का काम कर रही है। यह बात कश्मीर के पूर्व सीएम व वीपी सिंह सरकार में मंत्री रहे फारूख अब्दुल्ला ने कही है। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि अगर इन मसलों को सुलझाना है तो दिल जोड़ने वाली बात होनी चाहिए लेकिन यह फिल्म दिल तोड़ने वाली बात कर रही है। पूरे देश में आग लगा रही है और इसे न बुझाया तो यह मुल्क को शोले की तरह उड़ा देगी। पूर्व सीएम ने प्रधानमंत्री मोदी से भी गुजारिश की है कि ऐसी चीजें न करें जिससे हिंदुओं और मुस्लिमों का आपसी प्यार कम हो वरना देश को हिटलर का जर्मनी बनते देर न लगेगी। अपने ऊपर लगे आरोपों पर सफाई देते हुए बोले कि उस वक्त राज्य के मुखिया जगमोहन थे, जो अब नहीं रहे। उन्होंने ही कश्मीरी पंडितों को घाटी से निकलवाया था। उनके घरों तक पुलिस की गाड़ियां भेजी थीं। उन्होंने ये भी कहा कि पंडितों के 800 परिवार आज भी घाटी में हैं लेकिन उन्हें किसी ने हाथ तक नहीं लगाया। फारूक अब्दुल्ला ने ये भी कह दिया कि एएस दुल्लत, आरिफ मोहम्मद खान, मोहसर रजा से पूछा जाए कि कश्मीरी पंडितों के कश्मीर छोड़ने की वजह कौन लोग हैं, अगर ये लोग मुझे जिम्मेदार ठहराएंगे तो मुझे जहां चाहे फांसी दे दें। उनका कहना है कि लेकिन इसके पहले एक कमीशन बने जो देखे कि कौन सही है और कौन गलत। उन्होंने कश्मीर पंडितों के निर्वासन को साजिश करार दिया है। उन्होंने कहा कि इसके लिए एक जांच आयोग बैठाया जाना चाहिए जिससे पता चल सके कि इसके पीछे कौन-कौन था। पूर्व सीएम ने कहा कि कश्मीरी पंडितों के राज्य छोड़ने के लिए फारूक अब्दुल्ला को जिम्मेदार कहा जा रहा है लेकिन इसका जिम्मेदार मैं नहीं बल्कि वो लोग हैं जो उस वक्त दिल्ली की सत्ता पर विराजमान थे। @Back To Home