होली दहन से पूर्व पूजन, होलिका दहन से पूर्व देश भर में महिलाओं व बच्चों ने विशेषकर होलिका का पूजन किया। होलिका दहन 17 को और दुल्हैंडी 18 मार्च को मनाई जाएगी। हिंदू शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि होलिका दहन से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। दो दिवसीय पर्व के पहले दिन दहन और दूसरे दिन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में रंग खेला जाता है। 17 मार्च दोपहर 1.29 बजे पूर्णिमा तिथि शुरू हो जाएगी जो अगले दिन 18 मार्च को दोपहर 12.47 बजे तक रहेगी। शास्त्रों के अनुसार संध्याकाल व्यापिनी पूर्णिमा में ही होलिका दहन किया जाता है। इसलिए इस बार होलिका दहन 17 मार्च गुरुवार को पूर्णिमा तिथि की उपस्थिति में किया जाएगा। शुक्रवार 18 मार्च को रंग खेला जाएगा। ज्योतिष विद भारत ज्ञान भूषण ने बताया कि धर्म सिंधु के अनुसार भद्रा के पुच्छ काल में होलिका दहन मंगलकारी होता है। बताया कि 17 मार्च को सुबह 1.30 बजे से ही पूर्णिमा आरंभ होगी। इसलिए होलिका स्थल का पूजन इसके बाद किया जा सकता है। ज्योतिष विद् अनुराधा गोयल ने बताया कि रात 10.15 बजे के बाद भद्रा का मुखकाल आरंभ हो जाएगा और यह रात 1.10 बजे तक चलेगा। इस अवधि में होलिका दहन नहीं करना चाहिए। रात 1.10 के बाद होलिका दहन हो सकता है। शहर में होली चौक में सबसे प्राचीन होलिका दहन होता है। आयोजन कमेटी के संयोजक पुन्नी चाचा ने बताया कि चौमाल ब्राह्मणों के द्वारा अग्नि प्रज्वलित की जाएगी। समिति के संत कुमार वर्मा ने बताया 18 को टेसू के फूलों से होली खेली जाएगी। होलिका स्थल को रंगीन झालरों और गुब्बारों से सजाया गया है। देश भर में होली का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। @Back To Home
होली दहन से पूर्व पूजन
