जेएनयू हिंसा सवालों का नहीं उत्तर, रामनवमी के दिन जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के कावेरी छात्रावास में हुई हिंसा की घटना को लेकर तरह-तरह की कहानियाँ सामने आ रही हैं. आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं. एफ़आईआर भी दर्ज हो चुकी है. जाँच जारी है लेकिन ऐसे कई सवाल हैं जो जिनके जवाब मिलने अभी बाकी हैं.आखिर रामनवमी के दिन जेएनयू में ऐसा क्या हुआ कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और वामपंथी छात्र संगठनों के छात्रों में टकराव हुआ. जेएनयू के कावेरी हॉस्टल में तकरीबन 320 छात्र रहते हैं. हॉस्टल में मुख्य दरवाजे से दाख़िल होते ही दाईं तरफ़ मेस है जहां छात्रों को खाना खिलाया जाता है.इसी मेस के पीछे रविवार दोपहर 3.30 बजे रामनवमी के मौके पर हवन और पूजा का कार्यक्रम रखा गया था. इसका आयोजन कावेरी हॉस्टल में ही रहने वाले कुछ छात्रों ने किया था. इसमें शामिल होने के लिए जेएनयू के दूसरे छात्रावासों में रहने वाले कई छात्र भी आए थे. दूसरी तरफ़, कावेरी हॉस्टल की मेस में शाम को इफ्तार का भी आयोजन किया गया था. रविवार दोपहर करीब चार बजे हवन शुरू हुआ और क़रीब 6.30 बजे तक चला. इसके बाद छात्रों के बीच प्रसाद बाँटा गया. मतलब एक तरफ़ कावेरी हॉस्टल में पूजा, हवन हुआ और दूसरी ओर मुस्लिम छात्रों ने इफ़्तार की दावत भी की, लेकिन थोड़ी ही देर बाद कावेरी हॉस्टल का मंजर बदल गया. कावेरी हॉस्टल में रहने वाले आदित्य उस समय वहां मौजूद थे, आदित्य किसी छात्र संगठन से जुड़े नहीं हैं. वो बताते हैं, ”हम जब खाने गए तो हंगामा चल रहा था. हमने देखा कि वो लोग पत्थर फेंक रहे थे. मेरे सामने कांच टूटा. सर पर ट्यूबलाइट मारी जा रही थी. हम लोग बीच में फंसे हुए थे” मारपीट कितनी हिंसक थी, ये जानने से पहले हम आपको बताते हैं कि तनाव शुरू कहाँ से हुआ? हफ्ते में चार दिन खाने में नॉनवेज भी रहता है. तय मेन्यू के मुताबिक़ को अंडा, बुधवार को चिकन बिरयानी, शुक्रवार-रविवार को चिकन करी छात्रों को दी जाती है. जो छात्र नॉनवेज नहीं खाते हैं उनके लिए शाकाहारी खाने का इंतज़ाम होता है.कावेरी हॉस्टल की मेस को चलाने के लिए छह सचिवों का चयन किया जाता है. हर सचिव पर एक महीने तक मेस चलाने की ज़िम्मेदारी होती है. अप्रैल महीने की ज़िम्मेदारी कावेरी हॉस्टल के छात्र मुद्दसिर के पास है.X