कश्मीरी छात्र गिरफ्तार-गंभीर आरोप, श्रीनगर: जम्मू कश्मीर पुलिस की राज्य अन्वेषण एजेंसी (एसआईए) ने रविवार को कश्मीर विश्वविद्यालय के एक पीएचडी छात्र को एक ऑनलाइन पत्रिका में ‘अत्यधिक भड़काऊ और राजद्रोही’ आलेख लिखने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. अधिकारी ने कहा कि एसआईए ने शहर में कई स्थानों पर आतंकवाद और राष्ट्र विरोधी नेटवर्क पर अपनी कार्रवाई के तहत छापेमारी की तथा अब्दुल आला फाजिली को हमहामा में स्थित उसके आवास से गिरफ्तार कर लिया.्उन्होंने कहा कि राजबाग में मासिक डिजिटल पत्रिका ‘द कश्मीर वाला’ के कार्यालय और हमहामा में फाजिली के आवासों पर तलाशी ली गई. अधिकारी ने कहा कि फाजिली का आलेख ‘अत्यधिक भड़काऊ, राजद्रोही है, जिसका मकसद जम्मू कश्मीर में अशांति पैदा करना और आतंकवाद का महिमामंडन कर युवाओं को हिंसा का रास्ता अपनाने के लिए प्रेरित करना है.’ उनकी गिरफ्तारी वर्ष 2011 में लिखे एक लेख के चलते हुई है और उन पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) लगाया गया है. उक्त लेख करीब 11 वर्ष पहले 6 नवंबर 2021 को द कश्मीर वाला ऑनलाइन मैग्जीन में प्रकाशित हुआ था. कश्मीर विश्वविद्यालय के छात्र 39 वर्षीय फाजिली फार्मास्युटिकल साइंस में डॉक्टरेट की पढ़ाई कर रहे हैं. दो सप्ताहों की भीतर ही उनकी शादी होने वाली थी. उन्हें पांच वर्षों के लिए मार्च 2021 तक यूजीसी की मौलाना आजाद राष्ट्रीय छात्रवृत्ति भी मिली थी. एसआईए के अधिकारियों ने पीएचडी छात्र अब्दुल आला फाजिली और द कश्मीर वाला के संपादक फहद शाह, जो पहले से ही जेल में हैं, के घर और पत्रिका के कार्यालय परिसर में छापेमारी की और गहन तलाशी ली. एसआईए ने कहा कि तलाशी फाजिली, शाह और सहयोगियों के खिलाफ दर्ज देशद्रोही लेख लिखने पर एफआईआर से संबंधित थी. बता दें कि शाह को दो बार अदालत द्वारा जमानत मिलने के बाद 14 मार्च को जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था. उन्हेंने 4 फरवरी को दक्षिण कश्मीर में हुई एक मुठभेड़ संबंधी रिपोर्ट अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित की थी, जिसमें मारे गाए एक व्यक्ति के परिजनों ने कहा था कि उनका बेटा आतंकवादी नहीं था. हालांकि, उन्हें अदालत से जमानत मिल गई थी, लेकिन शोपियां में उनके खिलाफ दर्ज हुई एक और एफआईआर के बाद उन्हें फिर गिरफ्तार कर लिया गया. यह एफआईआर भी मैग्जीन में प्रकाशित हुई एक रिपोर्ट के सिलसिले में ही थी. जब उन्हें दूसरी बार जमानत मिली तो पुलिस ने उन पर पीएसए लगा दिया.
कश्मीरी छात्र गिरफ्तार-गंभीर आरोप, श्रीनगर: जम्मू कश्मीर पुलिस की राज्य अन्वेषण एजेंसी (एसआईए) ने रविवार को कश्मीर विश्वविद्यालय के एक पीएचडी छात्र को एक ऑनलाइन पत्रिका में ‘अत्यधिक भड़काऊ और राजद्रोही’ आलेख लिखने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. अधिकारी ने कहा कि एसआईए ने शहर में कई स्थानों पर आतंकवाद और राष्ट्र विरोधी नेटवर्क पर अपनी कार्रवाई के तहत छापेमारी की तथा अब्दुल आला फाजिली को हमहामा में स्थित उसके आवास से गिरफ्तार कर लिया.्उन्होंने कहा कि राजबाग में मासिक डिजिटल पत्रिका ‘द कश्मीर वाला’ के कार्यालय और हमहामा में फाजिली के आवासों पर तलाशी ली गई. अधिकारी ने कहा कि फाजिली का आलेख ‘अत्यधिक भड़काऊ, राजद्रोही है, जिसका मकसद जम्मू कश्मीर में अशांति पैदा करना और आतंकवाद का महिमामंडन कर युवाओं को हिंसा का रास्ता अपनाने के लिए प्रेरित करना है.’ उनकी गिरफ्तारी वर्ष 2011 में लिखे एक लेख के चलते हुई है और उन पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) लगाया गया है. उक्त लेख करीब 11 वर्ष पहले 6 नवंबर 2021 को द कश्मीर वाला ऑनलाइन मैग्जीन में प्रकाशित हुआ था. कश्मीर विश्वविद्यालय के छात्र 39 वर्षीय फाजिली फार्मास्युटिकल साइंस में डॉक्टरेट की पढ़ाई कर रहे हैं. दो सप्ताहों की भीतर ही उनकी शादी होने वाली थी. उन्हें पांच वर्षों के लिए मार्च 2021 तक यूजीसी की मौलाना आजाद राष्ट्रीय छात्रवृत्ति भी मिली थी. एसआईए के अधिकारियों ने पीएचडी छात्र अब्दुल आला फाजिली और द कश्मीर वाला के संपादक फहद शाह, जो पहले से ही जेल में हैं, के घर और पत्रिका के कार्यालय परिसर में छापेमारी की और गहन तलाशी ली. एसआईए ने कहा कि तलाशी फाजिली, शाह और सहयोगियों के खिलाफ दर्ज देशद्रोही लेख लिखने पर एफआईआर से संबंधित थी. बता दें कि शाह को दो बार अदालत द्वारा जमानत मिलने के बाद 14 मार्च को जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था. उन्हेंने 4 फरवरी को दक्षिण कश्मीर में हुई एक मुठभेड़ संबंधी रिपोर्ट अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित की थी, जिसमें मारे गाए एक व्यक्ति के परिजनों ने कहा था कि उनका बेटा आतंकवादी नहीं था. हालांकि, उन्हें अदालत से जमानत मिल गई थी, लेकिन शोपियां में उनके खिलाफ दर्ज हुई एक और एफआईआर के बाद उन्हें फिर गिरफ्तार कर लिया गया. यह एफआईआर भी मैग्जीन में प्रकाशित हुई एक रिपोर्ट के सिलसिले में ही थी. जब उन्हें दूसरी बार जमानत मिली तो पुलिस ने उन पर पीएसए लगा दिया.