मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस वे अभी रिस्की, गुरूवार रात 12 बजे के बाद मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस वे से गुजरने वाले वाहनों से टोल वसूली तो शुरू कर दी गयी है, लेकिन इससे एक्सप्रेस वे से गुजरना अभी खतरे से खाली नहीं है। दरअसल रोक व मनाही के बाद भी यहां से दो पहिया वाहन गुजर रहे हैं। याद रहे कि ऐसे ही दो पहिया वाहनों की वजह से पहले यहां हुए हादसों में करीब दर्जन भर से ज्यादा जान से हाथ धो चुके हैं। टोल वसूली के बाद भी एक्सप्रेस वे पर सुरक्षा को लेकर कोई इंतजाम नजर नहीं आए। जबकि हादसों के बाद तय किया गया था कि एक्सप्रेस वे पर मेरठ के परतापुर साइड से एंट्री पर पुलिस तैनात रहेगी। टोल वसूली करने वाले कंपनी के मार्शल भी तैनात रहेंगे, लेकिन शुरूवार को न तो पुलिस कहीं नजर आयी न ही मार्शल ही दिखाई दिए। बाइक सरीखे दो पहिया वाहन बगैर किसी रोक टोक मेरठ से दिल्ली की ओर जाने वाले एक्सप्रेस वे के रास्ते पर दौड़ते देखे जा सकते थे।
आना जाना 230 रुपए में: एक्सप्रेस वे का यूज करते हुए दिल्ली आने जाने में छोटी कार सरीखे वाहन चालकों को 230 रुपए खर्च करने पड़े रहे हैं। जिन गाड़ियों पर फास्ट टेग नहीं लगा है, उनसे डबल वसूली की जा रही है। टोल वसूली शुरू होने के बाद शुक्रवार को यहां से गुजरने वाले चार पहिया वाहनों की संख्या पर असर देखा गया। उनकी संख्या में बड़ी गिरावट दर्ज की गयी है।
सिवाया की सुध लें नितिन गडकरी: नियमानुसार टोल पर जो भी पर्ची काटी जाती है वह चौबीस घंटे की होती है, लेकिन मेरठ का सिवाया टोल प्लाजा इसका अपवाद है। वहां केवल एक बार गुजरने भर के लिए टोल लिया जा रहा है। यदि कोई वाहन चालक दस मिनट बाद ही लौटकर आ जा तो उससे दोबारा उतनी ही रकम ली जा रही है। सिवाया टोल से चौबीस घंटे जितनी भी बार काेई वाहन गुजरता है, उसे उतनी ही बार टोल देना होता है। केंद्रीय सड़क परिहन मंत्री से इसको लेकर आरटीआई एक्टिविस्ट विपुल सिंह ने हस्तक्षेप का मांग की है। @Back To Home