मेरठ पहुंची रैपिड टनल मशीन, आनंद विहार के बाद अब मेरठ में भी सुरंग की खोदाई शुरू होने वाली है। इसी महीने 23 मार्च से खोदाई शुरू हो सकती है। इसके लिए एक मशीन की एसेंबलिंग तेज कर दी गई है। 90 मीटर लंबी मशीन के कलपुर्जे जोडऩे का काम तेजी से चल रहा है। दूसरी मशीन की असेंबलिंग के लिए डीवाल में होल किया जा रहा है। उसी होल के साथ मशीन को पहले तैयार किया जाता है। कुल चार मशीनें सुरंग की खोदाई करेंगी। इसमें दो मशीन भैंसाली से फुटबाल चौक की तरफ और दो मशीन भैंसाली से बेगमपुल की तरफ जाएंगी। बाद में इसी में से दो मशीन गांधी बाग से बेगमपुल की तरफ आएंगी।
एक दिन में 30 मीटर तक करेगी खोदाई
मशीन एक दिन में औसतन 30 मीटर तक खोदाई करेगी। चार मीटर लंबे सेगमेंट जोड़कर सुरंग तैयार की जाएगी। कुल सात सेगमेंट जोड़कर रिंग बनाई जाएगी। एक सेगमेंट की मोटाई 30 मिमी होगी। मेरठ पहुंची रैपिड टनल मशीन, मेरठ में रैपिड रेल का काम तेजी के साथ चल रहा है।
श्रमिकों को भी रखा जाएगा ध्यान
वहीं दूसरी ओर देश के पहली रीजनल रैपिड रेल कारिडोर (दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस) के लिए मेरठ शहर में सुरंग की खोदाई इसी महीने शुरू होने वाली है। सुरंग की खोदाई के दौरान श्रमिकों, अभियंताओं या अन्य सहायकों के स्वास्थ्य बिगडऩे की आशंका रहती है, इसलिए पहले से ही सतर्कता वाले कदम उठाए जा रहे हैं। सुरंग के अंदर काम करने के दौरान अलग-अलग तरह के लक्षण उभरने या स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पडऩे या शरीर के किसी अंग पर प्रभाव पडऩे पर उसका इलाज तत्काल उपलब्ध कराने के लिए विशेषज्ञ अस्पतालों से समझौता किया गया है।
ऐसे मिलेगी सुविधा
इनमें चार अस्पताल मेरठ शहर के ही हैं, वहीं एक अस्पताल नोएडा का है। नोएडा के अपोलो अस्पताल में कुछ विशेष परिस्थिति वाली आपात चिकित्सा उपलब्ध है जोकि मेरठ या एनसीआर के अन्य अस्पतालों में उपलब्ध नहीं है। ऐसे में इस अस्पताल को भी पैनल में शामिल किया गया है। गौरतलब है कि 82 किमी लंबे कारिडोर के लिए मेरठ में फुटबाल चौक, भैंसाली व बेगमपुल में भूमिगत स्टेशन बनाए जा रहे हैं। उसी के लिए दो जुड़वां सुरंगों की खोदाई होगी। एक तरफ सुरंग की लंबाई 3.5 किमी रहेगी। इसका व्यास 6.5 मीटर रहेगा।