नो फ्लाई जोन को नाटो की ना, रूस के खिलाफ नाे फ्लाई जोन को नाटो देशों ने साफ मना कर दिया है. नेटो के महासचिव जेन्स स्टोलेनबर्ग ने इससे पहले चेतानवी देते हुए कहा था कि अगर नो-फ़्लाई ज़ोन लागू किया गया तो इससे रूस के साथ नेटो देशों का सीधा संघर्ष शुरू हो जाएगा. साथ ही इससे होने वाली मानव-त्रासदी बहुत भयावह होगी. वहीं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी अपनी ओर से यह स्पष्ट कर चुके हैं कि अगर इस तरह की कोई भी कार्रवाई की जाती है तो इसे सीधे संघर्ष में भागीदारी के तौर पर लिया जाएगा. उसाथ ही अमेरिकी अधिकारियों की ओर से भी भी हाल के दिनों में कहा गया है कि राष्ट्रपति जो बाइडन भी इस तरह के किसी ज़ोन के पक्षधर नहीं है. उवहीं यूक्रेन के राष्ट्रपति ने एक सवाल के जवाब में प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि आज गठबंधन नेतृत्व ने नो-फ़्लाई ज़ोन बनाने से मना करके यूक्रेन के शहरों और कस्बों पर बमबारी करने के लिए उन्हें(रूस) ग्रीन सिग्नल दे दिया है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने नेटो पर नो-फ़्लाई ज़ोन न घोषित करने के लिए उसकी आलोचना की थी और इसे ‘कमज़ोरी’ और ‘एकता का अभाव’ बताया था. लेकिन खुलेतौर पर यूक्रेन का साथ देने के बावजूद, यूक्रेन में मची तबाही को देखने के बावजूद पश्चिमी सहोयगी देश नो-फ़्लाई ज़ोन लागू करने से इनकार क्यों कर रहे हैं? रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सरकारी विमान कंपनी एयरोफ़्लोट के फ़्लाइट अटेंडेंट के साथ बैठक के दौरान कहा था कि कोई भी देश अगर यूक्रेन पर नो-फ़्लाई ज़ोन लागू करता है तो उसे यूक्रेन में युद्ध में शामिल माना जाएगा. रूसी राष्ट्रपति ने कहा, “इस दिशा में किसी भी उठाए गए क़दम को हम मानेंगे कि वो उस देश में एक सशस्त्र विद्रोह में शामिल हो रहा है.” आसान शब्दों ने समझें तो नो फ़्लाई ज़ोन ऐसे स्थान विशेष को परिभाषित करता है, जहाँ यह सुनिश्चित किया जाता है कि कुछ विमान उड़ान नहीं भर सकते हैं.