नौकरी नहीं अवसाद में हैं युवा

नौकरी नहीं अवसाद में हैं युवा, माता पिता की जीवन भर की कमाई और पढाई के बाद तमाम डिग्री होते हुए भी नौकरी न मिलने से अवसाद में है युवा वर्ग। युवा नौकरी की तलाश में हैं, लेकिन तय सरकारी नीतियों के कारण योग्य होते हुए भी नौकरी आसानी से नहीं मिल पाती। युवा शिक्षित तो हैं किन्तु उन्हें तकनीकि जानकारी नहीं है। उन्हें कॉलेज से जो शिक्षा मिली है वह केवल किताबी है। उसमें हुनर का अभाव है। अर्थात हमारी शिक्षा नीति भी काफी हद तक सही नहीं है। युवाओं का एक बड़ा वर्ग बेरोजगारी के कारण मूल भूत सुविधाओं से वंचित है। वह अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए लगातार संघर्ष कर रहा है। आज के समय में युवाओं के जीवन में अनेक प्रकार की समस्याएं हैं। राज्य की आर्थिक अस्थिरता, बेरोजगारी आदि। युवा, नौकरी की तलाश में हैं, लेकिन तय सरकारी नीतियों के कारण योग्य होते हुए भी नौकरी आसानी से नहीं मिल पाती। युवा शिक्षित तो हैं किन्तु उन्हें अ्रन्य कोई तकनीकि जानकारी नहीं है। उन्हें कॉलेज से जो शिक्षा मिली है वह केवल किताबी है। उसमें हुनर का अभाव है। अर्थात हमारी शिक्षा नीति भी काफी हद तक सही नहीं है। शिक्षा युवाओं के उपयोगी सिद्ध नहीं हो पा रही है। भारतीय शिक्षा नीति को लेकर कॉरपोरेट जगत की अक्सर शिकायत रहती है कि उसे जो शिक्षा मिली है उसमें गुणवत्ता का अभाव है। एक सर्वे के अनुसार शिक्षित युवकों में से 80 प्रतिशत छात्र तकनीकि रूप से अयोग्य हैं। कुछ व्यवसाय ही हैं जो वह कर सकते हैं। शिक्षा के आधार पर रोजगार न मिलने पर वह तकनीकि ज्ञान न होने पर, वह स्वयं का कोई रोजगार भी नहीं आरम्भ कर पाते और स्वरोजगार के लिए उपलब्ध अवसरों का लाभ नहीं उठा पाते। शिक्षित होते हुए भी युवा बेरोजगार है। परिणाम स्वरूप आपराधिक घटनाओं में युवाओं की बढ़ती संलिप्तता पर अक्सर चिंता जताई जाती है। आजीविका कोई अन्य साधन न होने के कारण, युवा अपनी राह से भटक जाता है। अर्थात गैरकानूनी कमाई की खोज में लग जाता है।

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