पदकों की चमक बिखरने वाले का परिवार अंधेरे में, देश के लिए पदकों की चमक बिखरने वाले युवा खिलाड़ी का परिवार अंधेरे में है। यह कहानी यूपी के मेरठ जनपद के स्टेडियम कैंपस में रहने वाले युवा तीरंदाज नीरज चौहान की है। भारत के लिए एशियन गेम में उनका सलेक्शन हो गया है। बेहद कठिन ट्रायल में उन्होंने देश भर के खिलाड़ियों में दूसरा स्थान हासिल किया है। नीरज के भाई बाक्सर हैं। दोनों स्टेडियम के कैंपस में रहते हैं। लेकिन स्टेडियम के एक अफसर की हठधर्मिता ने देश के लिए मेडलों की चमक बिखरने वाले इन भाइयों का जीना दुश्वार कर दिया है। यह कहानी है स्टेडियम की कीचन में खिलाड़ियों के लिए भोजन बनाने वाले अछे लाल चौहान के बेटों नीरज व सुनील की। सुनील एशियन गेम में हिस्सा लेने जा रही भारतीय टीम का हिस्सा है जबकि सुनील विदेशों में होने वाली बाक्सिंग प्रतियोगिताओं की तैयारी कर रहा है। कोरोना के दौरान जब स्टेडियम का हास्टल बंद करा दिया गया था तो अछे लाल चौहान की नौकरी भी चली गयी। वह सब्जी का ठेला लगाने लगे। उनका परिवार मुफलिसी में आ गया। शहर के सीनियर एडवोकेट रामकुमार शर्मा ने जब उनके लिए आवाज बुलंद की तो सरकार की ओर से इस परिवार को पांच लाख की मदद दी गयी। लेकिन एक बार फिर इनका परिवार मुसीबत में है। अछे लाल के पुत्र सुमित जो काम में उनका हाथ बटाते हैं, ने बताया कि स्टेडियम के आरएसओ ने उनके परिवार का जीना मुहाल कर दिया है। कैंपस में उनके सरकारी मकान की बिजली व पानी काट दी गयी है। जानलेवा गर्मी में बगैर बिजल व पानी के रहना कितना दुश्वार है इसका आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है। उनका कहना है कि देश के लिए मेडलों की चमक बिखरने वाले एक खिलाड़ी के परिवार के साथ जब ऐसा व्यवहार किया जाएगा तो फिर खेल प्रतिभाएं कहां से पैदा होंगी। इस पूरे मामले में स्टेडियम के आरएसओ से उनका पक्ष जानने को बहुत प्रयास किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो सका। वहीं ओर एक बार फिर एडवोकेट राम कुमार शर्मा ने इस परिवार व देश के हाेनहार खिलाड़ियों की मदद का बीड़ा उठाया है। @Back To Home