खरगोन: मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी के दिन हुई हिंसा के बाद जिला प्रशासन द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बना हसीना फखरू का मकान ढहाए जाने के कुछ दिनों बाद ही सरकार ने परिवार से संपर्क किया और उसे राशन उपलब्ध कराया व उनके पुनर्वास के विकल्पों को खंगाला.बता दें कि खरगोन के खसखसबाड़ी इलाके में 60 वर्षीय हसीना का मकान था, जो रामनवमी पर निकले जुलूस के दौरान हुई सांप्रदायिक झड़प के अगले ही दिन आरोपियों के अवैध निर्माण बताकर ढहाए गए 12 मकानों में से एक था. शनिवार (16 अप्रैल) दोपहर जिला प्रशासन और नगर निगम के अधिकारी हसीना और उनके परिवार से मिलने पहुंचे. जिन्होंने पास ही स्थित एक सुनसान मस्जिद में शरण ले रखी है. उन्हें राशन उपलब्ध कराने के बाद, अधिकारियों ने परिवार के सदस्यों के अंगूठे के निशान लिए और सूचित किया कि उन्हें रहने के लिए मल्टीप्लेक्स में भेजा जाएगा. हसीना के बेटे अमजद खान ने बताया, ‘उन्होंने (अधिकारियों ने) पहले हमें बताया कि वे हमें मल्टीप्लेक्स में शिफ्ट करेंगे, लेकिन वह इमारत एक सांप्रदायिक इलाके में है, इसलिए हमने जाने से इनकार कर दिया. फिर टीम ने हमसे पूछा कि हमारा पुराना मकान कहां था. हमने उन्हें बताया कि हम खसखसबाड़ी में तीन दशकों से रह रहे थे, लेकिन वे फिर भी स्थानीय लोगों के साथ अलग-अलग इलाकों में हमारे घर की तलाश कर रहे हैं.’ खरगोन जिला कलेक्टर अनुग्रहा पी ने को बताया, ‘सरकार परिवार का पुनर्वास करेगी.’ बहरहाल, कार्रवाई के दौरान जिला प्रशासन का कहना था कि हसीना फखरू का परिवार जिस जमीन पर रह रह रहा था वह राजस्व विभाग की थी, लेकिन अमजद खान ने 2017-18 से भरे जा रहे संपत्ति कर की रसीद और बिजली के बिल दिखाए, जिनके आधार पर उनके पिता फखरू पठान ने पीएम आवास योजना के तहत लाभांवित होने के लिए आवेदन दिया था. उन्होंने बताया था कि खसखसबाड़ी में जमीन के उस टुकड़े पर उनका परिवार तीन दशकों से कच्चे मकान में रह रहा था.