बिगड़ा बजट-परिवार की होम मिनस्टर का पारा हाई, एलपीजी के सिलेंडर पर पचास रुपए और पेट्रोल पर 80 पैसे की वृद्धि का चाबुक क्या चला पूरे परिवार का ही बजट बिगड़ गया। परिवार खासतौर से रसोई का बजट बिगड़ा तो परिवार की होम मिनिस्टर का पारा होने लगे तो चौंकने की जरूरत नहीं है। उनका गुस्सा लाजमी है। वादा तो था कि अब की बार महंगाई पर मार, लेकिन हो रहा है उलटा अबकि बार परिवारों पर महंगाई की मार। महंगाई के लगातार पड़ रहे सरकारी चाबुकों का कितना असर हो रहा है, यह जानने के लिए हमने शहर की कुछ महिलों से बातचीत की। महंगाई के विरोध के सवाल पर सभी एक मंच पर नजर आयीं। साथ ही दो टूक कह दिया बस भी करो सरकार बहुत हुई महंगाई की मार। इस बातचीत के कुछ अंश नीचे दिए हैं।
यथार्थ के सारथी की अध्यक्ष जूही त्यागी का कहना है कि सरकार जब वो पेट्रोल,डीजल खाद्य सामग्री, गैस पर पैसे बढ़ाये तो कृपया उसी हिसाब से हमारे घर के कमाने वालों की सैलेरी भी बढ़ाये जिससे हम महिलाओं के घर के बजट में संतुलन बना रहे क्योंकि हम मध्यवर्गी परिवार अपने घर का हिसाब किताब अपनी आमदनी के हिसाब से बड़ी मुश्किल से चला पाती है उसमें थोड़ी से भी चीजें महंगी होती है तो पूरा रसोई का बजट बिगड़ जाता है।
ग्रहणी प्रियंका त्यागी का सूझ नहीं रहा कि कैसे घर का बजट मैनेज करें। उनकी नाराजगी केवल मंगलवाराें को महंगाई को लेकर सरकारी की अमंगलकारी घोषणा भर से नहीं है। उनका कहना है कि पिछले यदि सात साल का हिसाब निकाला जाए तो रसोई का बजट हाथ से निकलकर आसमान में पहुंच गया है। आदमनी बढ़ नहीं रही है और महंगाई पर लगाम का कोई रंग ढंग नजर नहीं आ रहा है करें तो क्या करें।
शालनी शर्मा एक घरेलू कामकाजी महिला हैं। सामाजिक सरकारों से भी जुड़ी हैं। जब उनसे महंगाई खासतौर से रसोई गैस सिलेंडर के पचास रुपए महंगा होने को लेकर सवाल किया तो उन्होंने सवालिया नजरों से उलटा सवाल दाग दिया और बोली कि केवल पचास रुपए की वृद्धि नजर आ रही है। आप मुझे यह बताएं कि रसोई गैस सिलेंडर जब करीब पौने चार सौ रुपए का आता था, तब से अब तक कितनी बार इस पर रेट बढ़ चुके हैं।
एक अन्य गृहणी कविता चौहान से जब महंगाई को लेकर सवाल पूछा गया तो उनका कहना था कि समझ में नहीं आ रहा है कि क्या कहूं। रोना और हंसना दोनों ही आ रहे हैं। जब पूछा गया कि किस पर रोना या हंसना आ रहा है तो बोली जाने दो पत्रकार बाबू क्या करोगे पूछकर बस यह समझ लो कि यह महंगाई अब हमारी जन्म कुंडली का हिस्सा है या फिर यह मान लो कि आग का दरिया है और डूब के जाना है। बस और कुछ नहीं।
गृहणी संगीता शर्मा ने तो मंहगाई को डायन करार देते हुए कहा कि परिवार को चलाने के लिए सदस्य भले ही कितनी ही मेहनत कर लें। दिन रात मेहनत कर रहे हैं, लेकिन जितना भी कमाते हैं यह महंगाई डायन सब कुछ खा जाती है। रसोई का बजट बिगड़ने का मतलब है कि पूरे घर का बजट गड़बड़ा जाना। जहां तक खर्च की बात है तो केवल यह रसोइ तक ही सीमित नहीं। परिवार में बच्चे उनकी पढाई, बीमारी में दवाई तमाम चीजे हैं, सरकार कुछ तो सोचे।
जगन्नाथपुरी निवासी सारिका सिंहल के पति कारोबारी हैं। उनका होटल व्यवसाय है। पति टैक्स पेयर हैं, उनका कहना है कि पति विपुल सिंहल भले ही कितना ही कमा लें, लेकिन परिवार के बजट की यदि बात की जाए तो सब कुछ हाथ से फिसलता नजर आता है। खर्च केवल परिवार के बजट तक ही सीमित नहीं होता। तमाम सामाजिक काम, रिश्तेदारी में होने वाले आयोजनों में खर्च। गुजारा करें तो कैसे करें। बहुत हुई महंगाई की मार कुछ तो रहम करो सरकार।
नाराजगी तो ठीक है, मगर मजबूरी भी समझें: कैंट बोर्ड की निवर्तमान उपाध्यक्ष और भाजपा का पंजाबी चेहरा बीना वाधवा महंगाई के मुददे पर मोदी योगी सरकार के बचाव में खुलकर उतरी हुई हैं। उनका कहना है कि महिलाओं की महंगाई को लेकर नाराजगी को वह समझती हैं, वह खुद सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ता होने के अलावा गृहणी भी हैं। महंगाई पर नाराजगी तो ठीक है, लेकिन सरकार की मजबूरी भी समझें। कुछ चीजें सरकार के हाथ में नहीं होतीं। @Back To Home