टोल वसूली बनी है मुसीबत, मेरठ दिल्ली एक्सप्रेस वे पर तकनीक के सामने स्टाफ ने घुटने टेक दिए हैं, वहीं दूसरी ओर यहां से गुजरने वाले वाहन चालकों के लिए टोल वसूली बनी है मुसीबत। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर टोल लेने की प्रक्रिया स्वयं उसे संचालित करने वाली कंपनी के कर्मचारी भी नहीं समझ पा रहे हैं। ऐसे में यात्री परेशानी झेलने को मजबूर हैं। चार दिन बाद भी यहां समस्याएं बनी हुई हैं। यात्री परेशान होकर प्लाजा के भवन के चक्कर काट रहे हैं, जहां समाधान नहीं हो पा रहा है। फास्टैग स्कैनर अभी तक लेन के किनारे पर लगे हैं, लेकिन वाहनों में इधर-उधर या फिर बीच में फास्टैग लगे होने की वजह से स्कैन में समस्या आ रही थी। इसलिए अब इस समस्या के हल के लिए नए सिरे से एंगल लगाने का काम शुरू हुआ है। इससे स्कैनर बीच में लगा दिया जाएगा। उम्मीद है कि इससे सामने केशीशे पर कहीं भी फास्टैग चिपका होगा तो उसे स्कैन किया जा सकेगा। कई दिन से बूम बैरियर के उठने व गिरने में देरी हो रही थी, इस समस्या को अब दूर कर लिया गया है, मगर अब समस्या यह आ रही है कि बूथ में बैठे कर्मचारी ही साफ्टवेयर में उलझ जाते हैं, इससे भी समस्या आ रही है।बूथों में बैठे कई कर्मचारी अप्रशिक्षित दिखाई दे रहे हैं। जो आधुनिक तकनीक से सामंजस्य नहीं बैठा पा रहे हैं। इसके समाधान के लिए संबंधित कंपनी की ओर से प्रशिक्षित व तेजी से काम करने वाले कर्मी बुलाए जा रहे हैं। इसकी वजह है कि प्रशिक्षित कर्मी चले गए थे। काम चलाऊ कर्मचारी काम संभाल नहीं पाए। काशी टोल प्लाजा पर 19 लेन हैं। इसमें सिर्फ 12 लेन ही खोली गई हैं। इसकी वजह है संचालन न कर पाना। एनएचएआइ का कहना है कि जल्द ही समस्या दूर हो जाएगी। सभी लेन चल जाएंगी।
टोल वसूली बनी है मुसीबत
