वेस्ट में गठबंधन की धमाकेदार एंट्री, साल 2017 के चुनाव में विपक्ष का सुपडा साफ करने वाली भाजपा को पश्चिम की गन्ना बैल्ट में 12 सीटों का नुकसान हुआ है। वहीं दूसरी ओर यदि गठबंधन की बात की जाए तो रालोद के थिक टैंक कहां चूक रह गयी इसका मंथन करने व लीकेज को दूर करने में जुट गए हैं। दरअसल सारी तैयारी 2024 को लेकर है। तीन कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली के बॉर्डरों पर एक साल तक चले किसान आंदोलन का यूपी चुनाव में कोई असर नहीं दिखा। जिस गाजीपुर बॉर्डर पर यह आंदोलन चला, उसी इलाके की साहिबाबाद सीट से बीजेपी प्रत्याशी ने देश में सबसे ज्यादा 2 लाख 14 हजार वोटों से जीतकर एक रिकॉर्ड बनाया। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के गृह जनपद में छह में से दो सीटें बीजेपी को चली गईं। रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी अपने गृह जनपद बागपत में तीन में से महज एक सीट ही अपनी पार्टी को जिता पाए। कुल मिलाकर वेस्ट यूपी में सपा-रालोद गठबंधन को सिर्फ 12 सीटें मिली हैं। इसमें मेरठ में 4, शामली में 3, मुजफ्फरनगर में 4 और बागपत में 1 सीट गठबंधन के खाते में आई। लखीमपुर खीरी में किसानों को कुचलने के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टैनी और उनका बेटा आशीष मिश्र खूब चर्चाओं में रहे, लेकिन उस जिले में आठों सीटें बीजेपी के खाते में गई हैं। कहा जा रहा है कि चुनाव आने तक किसान आंदोलन मुद्दा गौण हो गया। वेस्ट में गठबंधन की धमाकेदार एंट्री, ऐन वक्त पर जाट वोटों में भी खूब बिखराव हुआ। कुछ पुरुष वोटरों ने बीजेपी के विपक्षी दलों को सपोर्ट किया, लेकिन ज्यादार महिलाएं सुशासन के मुद्दे पर बीजेपी के साथ दिखीं। माना जा रहा है कि कुछ यही वजहें बीजेपी की जीत का आधार बनीं।
राकेश टिकैत के गृह जनपद का हाल
मुजफ्फरनगर की पुरकाजी सीट से रालोद प्रत्याशी अनिल कुमार 6640 वोटों से और चरथावल से सपा प्रत्याशी पंकज मलिक महज 5519 वोटों से जीते हैं। विधानसभा चुनाव के लिहाज से देखा जाए तो जीत का यह अंतर बहुत बड़ा नहीं है। बुढ़ाना सीट से रालोद के राजपाल बालियान ने 28422, मीरापुर से चंदन चौहान ने 27380 वोटों से बड़ी जीत दर्ज की। बाकी दो सीटें शहर और खतौली बीजेपी के खाते में गई हैं।